Haryanavi Makhol and Haryanavi Jokes
Haryanvi-makhol |
Haryanvi chutkule
Read more Haryanavi Makhol of Haryana (The funny state of India)
भाइयो या दो साल की बात होगी जब Titu की पहली होली थी सुसराड़ की
मैं गया सुसराड़
नया कुर्ता गाड़
दाढ़ी बनवाई बाल रंग्वाए
रेहड़ी पर ते संतरे तुलवाए
हाथ मैं दो किलो फ्रूट
मैं हो रया सुटम सूट
फागन का महिना था
... आ रया पसीना था
पोहंच गया गाम मैं
मीठे मीठे घाम मैं
सुसराड़ का टोरा था
मैं अकड में होरा था
साले मिलगे घर के बाहर
बोले आ रिश्तेदार आ रिश्तेदार
बस मेरी खातिरदारी शुरू होगी
रात ने खा पीके सोगया तडके मेरी बारी शुरू होगी
सोटे ले ले शाहले आगी
मेरे ते मिठाईया के पैसे मांगन लागी
दो दो चार चार सबने लगाये
पैसे भी दिए और सोटे भी खाए
साली भी मेरी मुह ने फेर गी
गाढ़ा रंग घोल के सर पे गेर गी
सारा टोरा होगया था ढिल्ला ढिल्ला
गात होगया लिल्ला लिल्ला गिल्ला गिल्ला
रहा सहा टोरा साला ने मिटा दिया
भर के कोली नाली में लिटा दिया
साँझ ताहि देहि काली आँख लाल होगी
बन्दर बरगी मेरी चाल होगी
बटेऊ हाडे तो नु हे सोटे खावेगा
बता फेर होली पे हाडे आवेगा
मैं हाथ जोड़ बोल्या या गलती फेर नहीं दोहराऊंगा
होली तो के मैं थारे दिवाली ने भी नहीं आउंगा
एक बार Titu अपनी प्रेमिका के साथ पार्क में बाहों में बाहें डाल कर बैठा हुआ था और कुछ बड़ी ही रूमानी बातें कर रहा था कि तभी अचानक वहां एक हवलदार आया और Titu से बोला, " आपको शर्म नहीं आती आप एक समझदार व्यक्ति होकर खुलेआम पार्क में ऐसी हरकत कर रहे हैं"।
Titu:-- देखिये हवालदार साहब आप गलत समझ रहे हैं, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं है।
...
हवलदार: तो कैसा है?
Titu:-- जी हम दोनों शादीशुदा हैं।
हवालदार: अगर तुम शादीशुदा हो तो फिर अपनी ये प्यार भरी गुटरगूं अपने घर पर क्यों नहीं करते।
Titu: --हवालदार साहब कर तो लें पर वहां मेरी पत्नी और और इसके पति को शायद अच्छा नहीं लगेगा।
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बहुत पुरानी कथा है। किसी गांव में दो भाई रहते थे। बडे की शादी हो गई थी। उसके दो बच्चे भी थे। लेकिन छोटा भाई अभी कुंवारा था। दोनों साझा खेती करते थे।
एक बार उनके खेत में गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई। दोनों ने मिलकर फसल काटी और गेहूं तैयार किया। इसके बाद दोनों ने आधा-आधा गेहूं बांट लिया। अब उन्हें ढोकर घर ले जाना बचा था। रात हो गई थी, इसलिए यह काम अगले दिन ही हो पाता। रात में दोनों को फसल की रखवाली के लिए खलिहान पर ही रुकना था। दोनों को भूख भी लगी थी।
दोनों ने बारी-बारी से खाने की सोची। पहले बड़ा भाई खाना खाने घर चला गया। छोटा भाई खलिहान पर ही रुक गया। वह सोचने लगा- भैया की शादी हो गई है, उनका परिवार है, इसलिए उन्हें ज्यादा अनाज की जरूरत होगी। यह सोचकर उसने अपने ढेर से कई टोकरी गेहूं निकालकर बड़े भाई वाले ढेर में मिला दिया। बड़ा भाई थोड़ी देर में खाना खाकर लौटा। उसके बाद छोटा भाई खाना खाने घर चला गया। बड़ा भाई सोचने लगा - मेरा तो परिवार है, बच्चे हैं, वे मेरा ध्यान रख सकते हैं। लेकिन मेरा छोटा भाई तो एकदम अकेला है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। इसे मुझसे ज्यादा गेहूं की जरूरत है। उसने अपने ढेर से उठाकर कई टोकरी गेहूं छोटे भाई वाले गेहूं के ढेर में मिला दिया! इस तरह दोनों के गेहूं की कुल मात्रा में कोई कमी नहीं आई।
हां, दोनों के आपसी प्रेम और भाईचारे में थोड़ी और वृद्धि जरूर हो गई।
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एक बै फत्तू खेत म्ह रेडियो स*ुणे था। रेडियो पै एक लुगाई बताण लाग री थी, बंबई मै बाढ़ आ गी, गुजरात मै हालण आग्या, दिल्ली म्ह… फत्तू नै देख्या पाच्छै नाका टूट्या पड़्या स*ै, अर बाणी दूसरे के खेत म्ह जाण लाग रहया स*ै। फत्तू छोंह म्ह आकै रेड़ियो कै दो लट्ठ मारकै बोल्या – दूर-दूर की बताण लाग री स*ै, लवै नाका टूट्या पड़या स*ै, यो बतांदे होए तेरा मुँह दुक्खै स*ै।
Haryanvi makhol ( Haryanvi Jokes )
शाम – सबेरे तेरी घणी याद आवै है। सारी रात मन्नै जगावै है।
करने को तो करूं तन्नै कॉल।
… पर कस्टमर केयर की छोरी हर बार बैलंस लो बतावै है।
Haryanvi Jokes | Haryanvi Makhol
एक बै एक jaat अर बानिया early morning जंगल (t *t **) हो के जोहड़ मैं हाथ धोन लागे, अर दोनुआ की आपस मै नज़र मिल गी . Jaat ने सोचा अक बनिए तै पहलां भी के उठेगा, इन बानिया नै पहला घने बदनाम कर राखे सां अक Jaat जूट इसे surde (dirty ) होया करें
परली ओड़ नै बानिये नै भी न्यू सोचा अक जाट तै पैलां भी के उठेगा . दोनुआ की prestige बन गी अर दोनु करड़ी ढ़ाल जंगल के हाथ छपाके मार मार के धोन लागे अर कोइसा उठे इ नही
थोड़ी हान मै बानिये ki gharwaali aapne chhore nai बोली (typical baniya accent main) "अड़ मखा परकाशे tere chacha ne dekh ke ल्यायिये , ke उक -चुक hogi. Baaniye ka chhora jhohad par gaya अर देख तमाशा अर bolya " अड़ baabu ke baat hogi, itni वार la di". Baaniya bolya chhore नै " अड़ bhai मूरख tai paala pad rahya सै, dekh घरा jaa अर dukaan khol ले /agarbatti la de अर aapne गाहका (customers) ne आछी ढ़ाल niptaa diye अर मेरा nahi बेरा कूड बार (कितना टाइम) ho ja"
Haryanvi Makhol | Haryanvi Jokes
एक बारी, एक जाट नें शमशानघाट में हल जोड़ दिया भूत किते बाहर जा रह्या था. भूतनी जाट न डरावन खातर कांव कांव करण लागी. पर जाट ने कोई परवाह कोणी करी. आख़िर भूतनी बोली “तू यो के करह सै” जाट बोल्या “में उरे बाजरा बोवुंगा” भूतनी बोली “हम कित रहंगे” जाट बोल्या “मनें ठेका नि ले राख्या. भूतनी बोली “तू म्हारे घर का नास मत करै, हाम तेरे घर में 100 मण बाजरा भिजवा दयांगे”. जाट बोल्या “ठीक सै लेकिन तड़की पूंचना चाहिए नि तो में आके फेर हल जोड़ द्यूंगा” शाम नै भुत घर आया तो भूतनी बोली आज तो नास होग्या था. न्यूं न्यूं बणी अर जाट 100 मण बाजरे में मसाए मान्या. भुत ने भोत गुस्सा आया और बोल्या तने क्यों ओट्टी, मन्ने इसे जाट भोत देखे सै. मन्ने उसका घर बता में उसने इब सीधा कर दयुन्गा. अर भुत जाट कै घर चल्या गया. जाट कै घर में एक बिल्ली हील री थी. वा रोज आके दूध पी जाया करदी. जाट नै खिड़की में एक सिकंजा लगा लिया और रस्सी पकड़ के बैठ ग्या अक आज बिल्ली आवेगी और मैं उसने पकडूँगा. भुत नै सोची तू खिड़की मैं बड़के जाट ने डरा दे. वो भीतर नै सीर करके खुर्र-खुर्र करण लाग्या आर जाट नै सोची – बिल्ली आगी. उसने फट रस्सी खिंची आर भुत की नाड़ सिकंजा मैं फस गी आर वो चिर्र्र – चिर्र्र करण लाग ग्या. जाट बोल्या रै तू कोण सै ? वो बोल्या मैं भुत सूं. जाट बोल्या उरै के करे सै ? भुत बोल्या “मैं तो न्यू बुझंन आया था एके तू 100 मण बाजरे मैं मान ज्यागा अके पूली भी साथै भिजवानी सै? ठीक कही सै – जाट के आगे भुत भी नाचे सै
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सोटे ले ले शाहले आगी
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साली भी मेरी मुह ने फेर गी
गाढ़ा रंग घोल के सर पे गेर गी
सारा टोरा होगया था ढिल्ला ढिल्ला
गात होगया लिल्ला लिल्ला गिल्ला गिल्ला
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Titu:-- देखिये हवालदार साहब आप गलत समझ रहे हैं, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं है।
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हवलदार: तो कैसा है?
Titu:-- जी हम दोनों शादीशुदा हैं।
हवालदार: अगर तुम शादीशुदा हो तो फिर अपनी ये प्यार भरी गुटरगूं अपने घर पर क्यों नहीं करते।
Titu: --हवालदार साहब कर तो लें पर वहां मेरी पत्नी और और इसके पति को शायद अच्छा नहीं लगेगा।
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एक बार उनके खेत में गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई। दोनों ने मिलकर फसल काटी और गेहूं तैयार किया। इसके बाद दोनों ने आधा-आधा गेहूं बांट लिया। अब उन्हें ढोकर घर ले जाना बचा था। रात हो गई थी, इसलिए यह काम अगले दिन ही हो पाता। रात में दोनों को फसल की रखवाली के लिए खलिहान पर ही रुकना था। दोनों को भूख भी लगी थी।
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